Tuesday, September 20, 2011

शब्दावली-निर्माण के सिद्धांत

शब्दावली-निर्माण के सिद्धांत
   PRINCIPLES FOR EVOLUTION OF TERMINOLOGY
   अंतर्राष्ट्रीय शब्दों को यथासंभव उनके प्रचलित अंग्रेजी रूपों में ही अपनाना चाहिए ।
और
   हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं की प्रकृति के अनुसार ही उनका लिप्यंतरण करना चाहिए ।
   अंतर्राष्ट्रीय शब्दावली
   अंतर्राष्ट्रीय शब्दावली के अंतर्गत निम्नलिखित उदाहरण दिए जा सकते हैं :-
   तत्वों और यौगिकों के नाम, जैसे- Hydrogen, Carbon dioxide etc.,
       हाइड्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड आदि;
   तौल और माप की इकाइयां और भौतिक परिमाण की इकाइयां, जैसे- dyne, calorie, ampere etc.,
       डाइन, कैलॉरी, एंपियर आदि;
   ऐसे शब्द जो व्यक्तियों के नाम पर बनाए गए हैं जैसे, Marxism (Karl Marx), Braille (Louis Braille), boycott (Capt. Boycott), guillotine (Dr. Guillotine), gerrymander (Mr. Gerry), ampere (Mr. Ampere), Fahrenheit scale (Mr. Fahrenheit) etc.,
   मार्क्सवाद (कार्ल मार्क्स), ब्रेल (लूइस ब्रेल), बॉयकाट (कैप्टन बॉयकाट), गिलोटिन (डॉ. गिलोटिन), गेरीमैंडर (मि. गेरी), एंपियर (मि. एंपियर), फारेनहाइट तापक्रम (मि.फारेनहाइट) आदि;
   वनस्पतिविज्ञान, प्राणिविज्ञान, भूविज्ञान आदि की द्विपदी नामावली ।
       - Binomial nomenclature in such sciences as -Botany, Zoology, Geology etc.,
   स्थिरांक (Constants), जैसे- , g आदि;
   ऐसे अन्य शब्द जिनका आमतौर पर प्रायः सारी भाषाओं में व्यवहार हो रहा है, जैसे- Radio, Petrol, Radar, Electron, Proton, Neutron
    रेडियो, पेट्रोल, रेडार, इलैक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन आदि;
   गणित और विज्ञान की अन्य शाखाओं के संख्यांक, प्रतीक, चिह्न और सूत्र, जैसे- sin, cos, tan, log etc.,
       - जैसे- साइन, कोसाइन, टैंजेंट, लॉग आदि ।  (गणितीय संक्रियाओं में प्रयुक्त अक्षर रोमन या ग्रीक वर्णमाला के होने चाहिए) ।
   प्रतीक रोमन लिपि में अंतर्राष्ट्रीय रूप में ही रखे जाएंगे, परंतु उनके संक्षिप्त रूप (विशेषकर साधारण तौल व माप संबंधी) नागरी और मानक रूपों में लिखे जा सकते हैं ।
   सेंटीमीटर का प्रतीक Cm. हिंदी में भी रोमन में ही प्रयुक्त होगा, परंतु इसका नागरी संक्षिप्त रूप से.मी. (बच्चों के लिए लिखी किताबों में) हो सकता है । विज्ञान और प्रौद्योगिकी की मानक पुस्तकों में केवल अंतर्राष्ट्रीय प्रतीक अर्थात् Cm. ही प्रयुक्त करना चाहिए ।

      संकल्पनाओं को व्यस्त करने वाले शब्दों का  सामान्यतः अनुवाद किया जाना चाहिए ।
   हिंदी पर्यायों का चुनाव करते समय सरलता, अर्थ की परिशुद्धता और सुबोधता का विशेष ध्यान रखना चाहिए ।  सुधार विरोधी और विशुद्धतावादी प्रवृत्तियों से बचना चाहिए ।
   सभी भारतीय भाषाओं के शब्दों में यथासंभव अधिकाधिक एकरूपता लाना ही इसका उद्देश्य होना चाहिए और इसके लिए ऐसे शब्द अपनाने चाहिए जो -
Ø   अधिक से अधिक प्रादेशिक भाषाओं में प्रयुक्त होते हों, और
Ø  संस्कृत धातुओं पर आधारित हों ।
Ø  ऐसे देशी शब्द सामान्य प्रयोग के वैज्ञानिक शब्दों के स्थान पर हमारी भाषाओं में प्रचलित हो गए हैं जैसे telegraph, telegram के लिए तार, continent के लिए महाद्वीप, atom के लिए परमाणु आदि, ये सभी इसी रूप में व्यवहार किए जाने चाहिए ।
Ø  अंग्रेजी, पुर्तगाली, फ्रांसीसी आदि भाषाओं के ऐसे विदेशी शब्द जो भारतीय भाषाओं में प्रचलित हो गए हैं जैसे इंजन, मशीन, लावा, मीटर, प्रिज्म, टॉर्च आदि इसी रूप में व्यवहार किए जाने चाहिए ।
Ø  अंतर्राष्ट्रीय शब्दों का देवनागरी लिपि में लिप्यंतरण अंग्रेजी शब्दों का लिप्यंतरण इतना जटिल नहीं होना चाहिए कि उसके कारण वर्तमान देवनागरी वर्णों के लिए चिह्न व प्रतीक शामिल करने की आवश्यकता पड़े ।  अंग्रेजी शब्दों का देवनागरीकरण करते समय लक्ष्य यह होना चाहिए कि वह मानक अंग्रेजी उच्चारण के अधिकाधिक अनुरूप हों और उनमें ऐसे परिवर्तन किए जाएँ जो भारत के शिक्षित वर्ग में प्रचलित हों ।
Ø  लिंग हिंदी में अपनाए गए अंतर्राष्ट्रीय शब्दों को, अन्यथा कारण न होने पर, पुल्लिंग रूप में ही प्रयुक्त करना चाहिए ।
Ø  संकर शब्द वैज्ञानिक शब्दावली में संकर शब्द जैसे ionization के लिए आयनीकरण, voltage के लिए वोल्टता, ring stand के लिए वलय स्टैंड, soaponifier के लिए साबुनीकारक आदि के रूप सामान्य और प्राकृतिक भाषा शास्त्रीय क्रिया के अनुसार बनाए गए हैं और ऐसे शब्द रूपों को वैज्ञानिक शब्दावली की आवश्यकताओं तथा सुबोधता, उपयोगिता और संक्षिप्तता का ध्यान रखते हुए व्यवहार में लाना चाहिए ।
Ø  वैज्ञानिक शब्दों में संधि और समास कठिन संधियों का यथासंभव कम से कम प्रयोग करना चाहिए और संयुक्त शब्दों के लिए दो शब्दों के बीच हाइफन लगा देना चाहिए ।  इससे नई शब्द रचनाओं को सरलता और शीघ्रता से समझने में सहायता मिलेगी ।  जहाँ तक संस्कृत पर आधारित आदिवृद्ध का संबंध है, व्यावहारिक, लाक्षणिक आदि प्रचलित संस्कृत तत्सम शब्दों में आदिवृद्धि का प्रयोग ही अपेक्षित है परंतु नव-निर्मित शब्दों में इससे बचा जा सकता है ।
Ø  हलंत नए अपनाए हुए शब्दों में आवश्यकतानुसार हलंत का प्रयोग करके उन्हें सही रूप में लिखना चाहिए ।
Ø  पंचम वर्ण का प्रयोग पंचम वर्ण के स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग करना चाहिए, परंतु  lens, patent  आदि शब्दों का लिप्यंतरण लेंस, पेटेंट या पेटेण्ट न करके लेन्स, पेटेन्ट ही करना चाहिए ।
पारिभाषिक शब्दावली का स्वरूप
   वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग द्वारा शब्दावली निर्माण के लिए निर्धारित सिद्धांत के आधार पर तैयार की गई पारिभाषिक शब्दवली का स्वरूप इस प्रकार है
   अंतर्राष्ट्रीय शब्दावली को ज्यों का त्यों रखा गया है और उसका केवल देवनागरीकरण किया गया है ।
   अखिल भारतीय पर्याय संस्कृत धातुओं के आधार पर निर्मित किए गए हैं ।
   कुछ प्रसंगों में संस्कृत पर्यायों की अपेक्षा स्थानीय हिंदी शब्दों एवं हिंदी में आत्मसात् अन्य भाषा के शब्दों को भी स्वीकृत किया गया है क्योंकि जन-सामान्य में उनका प्रचलन है ।  ऐसे प्रसंगों में अन्य भाषाओं को भी अपने भिन्न पर्याय रखने की छूट है ।
संकल्पनात्मक शब्दों का भारतीय भाषाओं में पर्याय
   वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग द्वारा शब्दावली निर्माण के लिए निर्धारित सिद्धांत में यह सुनिश्चित है कि संकल्पनात्मक शब्दों का अनुवाद किया जाएगा ।
   संकल्पनात्मक शब्द सामान्यतया वे शब्द माने गए हैं जिने अर्थ किसी इंद्रिय प्रत्यक्ष (percept) अर्थात् वस्तुजगत् की क्रियात्मक अथवा गुणात्मक सत्ता के स्थायी बोध से ऊपर उठ जाते हैं, जेसे चलना, उबलना (क्रियाएँ), पीला, नीला (गुण), भार, ऊँचाई (नाप), सत्य, ईमानदारी (भाव) इत्यादि ।
   ये सारे अर्थ समाज-संस्कृति सापेक्ष होते हैं और इनके लिए भाषा में अपने शब्द होते हैं ।  इसीलिए हम अधिकांश सामाजिक शब्दों का अनुवाद नहीं मानते, प्रतिशब्द या अपनी भाषा का पर्याय मानते हैं ।
   एक मनोवैज्ञानिक ने कहा है -
   “With meanings individual is in possession of generalizations which are akin to concepts: meanings are early forms of concepts… Meanings develop into concepts whenever we learn to consider them independently outside any immediate relationship to reality.”
   शब्दावली के क्षेत्र में सर्वशब्द ग्रहणवादी यह भल करते हैं कि जब सभी शब्द विदेशी ग्रहण किए जाएंगे तो भाषा की जड़ को ही नहीं भाषी-समाज की संस्कृति और इतिहास प्रदत्त बोध और चेतना की परंपरा नष्ट हो जाएगी
   भले ही इस नाश में शताब्दी लग जाए....
   भले ही इस नाश में शताब्दी लग जाए, परंतु भाषा की पहचान के साथ भाषी-समाज की संपूर्ण छवि नष्ट हो जाएगी ।
   इसी विघटन को बचाने के लिए वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के विशेषज्ञों ने सामाजिक विज्ञानों और विज्ञानों के क्षेत्र में अंग्रेजी के संकल्पनात्मक शब्दों के अनुवाद नहीं भारतीय भाषिक प्रतिशब्द या पर्याय दिए हैं ।  उदाहरणार्थ
   विज्ञान
   beam current     - (भौ.) किरण पुंजधारा
   coniferous         - (वन.) शंकुधारी
   diastrophe         - (भू वि.) पटल विरूप
   condensation    - (रसायन) संघनन
   statistics            - (गणित) आँकड़े / सांख्यिकी
   समाज विज्ञान
   probability estimate      - (अ.सां.) प्रायिकता आकलन
   misology                   - (दर्शन) तर्कद्वेश
   diadochokinesis            - (मनो.) गतिद्रुतांतरण
   filibuster                - (राज.) गतिरोधकारी
   inflation                           - (अर्थ.) मुद्रास्फीति
   periodic cycle              - (समाज.) आवधिक चक्र
   group genitive     - (भाषा) पदसमूह संबंधकारक
   token money          - (अर्थ.) प्रतीक मुद्रा
   अंतर्राष्ट्रीय शब्दों को अपनाने संबंधी नियम को सक्ती से नहीं अपनाया गया है ।
   जिन शब्दों के लिए हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं में पर्याय मौजूद हैं और प्रचलित हैं उनके लिए उन पर्यायों का ही इस्तेमाल किया जाएगा ।
   उदाहरण के लिए, hour का समकक्ष घंटा शब्द मौजूद था तो उसे रखा गया है, जबकि मिनट और सेकिंड शब्दों को ग्रहण कर लिया गया है ।
   इसी भाँति, जिन ज्ञान शाखाओं की शब्दावली प्राचीन भारतीय विधाओं में मौजूद हैं उदाहरण के लिए गणित, दर्शन, अर्थशास्त्र, साहित्यशास्त्र उनके लिए मौजूद पर्यायों को अपनाया जाता है, प्रमेय, स्नातक, अभिनय आदि ऐसे ही शब्द हैं ।
   इसी भांति हिंदीतर भारतीय भाषाओं में अंग्रेजी शब्दों के लिए प्रचलित पर्यायों को लिया गया है । जैसे Blighted area के लिए मराठी का झोंपडपट्टी शब्द रखा गया है ।
   जो संकल्पनाएँ नई है उनके लिए शब्दों के ग्रहण की पद्धति के अलावा नए शब्दों का निर्माण भी किया जाता है ।  इस प्रक्रिया में अनुवाद का भी सहारा लिया जाता है ।
   इस तरह विभिन्न श्रेणियों के शब्दों को मिलाकर राष्ट्रीय शब्दावली परिवार विकसित किया गया है जिसमें परंपरागत, नवागत और नवनिर्मित तीनों तरह के शब्द हैं । 
इन शब्दों के निर्माण में मोटेतौर पर चार प्रक्रियाएँ अपनाई गई हैं
   अंगीकरण
   अनुकूलन
   नवनिर्माण
   अनुवाद
   अंगीकरण
   अंतर्राष्ट्रीय शब्दों के रूप में रासायनिक तत्वों, यौगिकों आदि के नामों (कार्बन डाइऑक्साइड), व्यक्तियों के नाम पर बनाए गए शब्दों (वोल्ट मीटर, एंपियर आदि), द्विपद नामवली (जैसे सराका इंडिका Saraca Indica, टमारिंडस इंडिका Tamarindus Indica) आदि को अंगीकृत कर लिया गया ।
   पेट्रोल, रेडियो, रेडार, डीजल, इंजन, मोटर, बिस्कुट आदि जैसे भारतीय भाषाओं में रचे-पचे शब्दों को भी स्वीकार किया गया है ।
   अंगीकृत शब्दों का भारतीय भाषाओं में लिप्यंतरण देवनागरी करते समय भारतीय भाषाओं की प्रकृति को ध्यान में रखा जाता है ।
   अनुकूलन
   अनुकूलन का अर्थ है शब्द को भाषा के अनुकूल ढालना ।
   जब विदेशी भाषा का कोई शब्द किसी भाषा में ग्रहण कर लिया जाता है तो उस भाषा का (जिसमें उसे ग्रहण किया गया है) शब्द मानकर प्रयोग किया जाता है ।
   उदा अयनीकरण (विदेशी शब्द में हिंदी प्रत्यय लगाकर संकर शब्द निर्मित किए गए हैं ।
   अनुकूलन की यह प्रवृत्ति हर भाषा की सहज प्रवृत्ति होती है ।  उदाहरण के लिए रेलगाड़ी, बस अड्डा जैसे शब्द हिंदी में पहले से मौजूद हैं ।
   इस प्रवृत्ति से भाषा का सहज वाक्य विन्यास कायम रहता है ।
   नवनिर्माण
   जिन पारिभाषिक शब्दों के समुचित पर्याय भारतीय भाषाओं में उपलब्ध न हों तथा जिन्हें अंगीकृत करना भी उपयोगी न हो, उनके लिए पर्यायों के नवनिर्माण का सिद्धांत अपनाया गया है ।
   इस तरह के नए शब्दों के निर्माण के लिए संस्कृत की धातु लेकर उनमें उपसर्ग और प्रत्यय लगाकर शब्द बनाए जाते हैं ।
   क्रिया शब्द से प्रक्रिया, संक्रिया, अनुक्रिया आदि शब्द बनाए गए हैं ।
   नवनिर्माण की यह पद्धति संकल्पनात्मक शब्दों के लिए तो बहुत ही उपयोगी और व्यावहारिक है ।   इसलिए राष्ट्रीय शब्दावली के निर्माण में इस तरीके को अपनाया गया है ।
   इस पद्धति से अर्थ की दृष्टि से नजदीक अंग्रेजी के शब्दों के लिए अलग-अलग हिंदी पर्याय नर्धारित किए जा सकते हैं ।
   नवनिर्माण
   इस पद्धति से अर्थ की दृष्टि से नजदीक अंग्रेजी के शब्दों के लिए अलग-अलग हिंदी पर्याय नर्धारित किए जा सकते हैं ।
   उदाहरण के लिए
   Maintenance
   अनुरक्षण
   Preservation
   परिरक्षण
   Reservation
   आरक्षण
   Conservation
   संरक्षण
   यराँ रक्षण में चार उपसर्गों को जोड़कर चार शब्द निर्मित कर लिए गए हैं ।
   नवनिर्माण
   इस पद्धति से अर्थ की दृष्टि से नजदीक अंग्रेजी के शब्दों के लिए अलग-अलग हिंदी पर्याय नर्धारित किए जा सकते हैं ।
   उदाहरण के लिए
   Maintenance
   अनुरक्षण
   Preservation
   परिरक्षण
   Reservation
   आरक्षण
   Conservation
   संरक्षण
   यहाँ रक्षण में चार उपसर्गों को जोड़कर चार शब्द निर्मित कर लिए गए हैं ।

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